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Lucknow Chikan Art : Chikan khaya aur Pehna jata hai Lucknow me.

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CHIKAN ART Lucknow me Chikan khaya jata hai aur pehna jata hai, Ji janab apna sahi padha hai Chikan khaya aur Pehn jata hai. Lucknow ki juban me jo methas hai urdu ki adbo adaab hai uska sath Mehakati tehzeeb hai jo Lucknow ki Khubsuarati me Char chand laga deti hai. Janab hum baat karta hai Lucknow ki Chikan ki, Dhaga ki maheen aur bareek karigari jo hatho se bunai ki jati hai hath ki safai aur tawajju ka sath. Chikan ka kurta pehna ho aur Tuday Kabab phir kiya kahna janab tan badan khush ho jaeya aur mehka aap, waahh waahh. Lucknow ki chowk ki patli gali me bahot hai chikan ka fankar, Hath ki bunai dhago ki kurti par nakkashi ka jall. Kapda Georgette ho ya Cotton aur Chiffon, dekhti hai hath ki safai aur karigar ka fankar. Yuh to Bahot se Adaey hai Mashoor  Lucknow ki, phela aap pehla aap. Lucknow  Online Chikan ka kurta, saree suit aur salwar etc. Free Delivery and Easy Return. Khareedna ka Liya Link par clicks kara.   Online Shop ka link :  Onl

Indian Railway : PNR, Reservation, Seat and Schedule.

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INDIAN   Railway   Download app from Google play : Click here         Check :      PNR Enquiry        RESERVATION CHART     Reserved Train Between Stations     Seat  Availability         Fare Enquiry         Reserved Train Schedule      

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बचपन की सुनहरी यादें और बचपन के खेल, तोतली व भोली भाषा

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चलो, फिर से बचपन में जाते हैं खुदसे बड़े-बड़े सपने सजाते हैं सबको अपनी धुन पर फिर से नचाते हैं साथ हंसते हैं, थोड़ा खिलखिलाते हैं जो खो गयी है बेफिक्री, उसे ढूंढ लाते हैं चलो, बचपन में जाते हैं। बचपन जब हम छोटे थे अक्सर मन में ये खयाल आता था कि हम बड़े कब होंगे, पर आज पुनः उसी बचपन में लौट जाने का दिल करता है. तो चलिये आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के द्वारा पुनः बचपन की यादों में लिए चलते है. हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श  बचपन में… जहां चाहा हंस लेते थे, जहां चाहा रो लेते थे! पर अब… मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई! तोतली

लखनऊ की पांच जगह जो खाने के लिए मशहूर हैं

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1. लखनऊ के टुंडे कबाब  लखनऊ के टुंडे कबाब की कहानी बीती सदी के शुरूआत से ही शुरू होती है, जब  1905  में पहली बार यहां  अकबरी गेट  में एक छोटी सी दुकान खोली गई। 2. पाया की नहारी  अवधी खान-पान में नहारी खाने वालों की भी बहुत संख्या है। इस पकवान के लिए चौक स्थित मुबीन और रहीम की नहारी पूरे शहर में लोकप्रिय है। नहार एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ है सुबह और इसीलिए यह पकवान सुबह के समय खाया जाता है। लखनवी पाया नहारी की खासियत यह है कि इसे 5-6 घंटों तक धीमी आंच पर पकाया जाता है। 3. इदरीस की बिरयानी    अगर आप मटन बिरयानी के शौकीन हैं तो आपको इस होटल में जरूर खाना चाहिए। इससे स्वादिष्ट बिरयानी आपको पूरे लखनऊ में कहीं नहीं मिलेगी। इदरीस की बिरयानी कि खासियत यह है कि इसे कोयले की आंच पर बनाया जाता है और आग का इस्तेमाल नहीं होता है। यह होटल लखनऊ के कोतवाली चौक बाजार में स्थित है। 4. मक्खन मलाई  यह मिठाई एक खास किस्म की है और अगर आप सोचें की आपको ऐसी मिठाई और किसी शहर में भी मिल जाएगी तो आप गलत हैं। जी हाँ लखनवी मक्खन मलाई आपको सुबह के समय चौक के गोलदरव